fertilization kaise hota hai in hindi | निषेचन कैसे होता है पूरी प्रक्रिया
अण्डोत्सर्ग (ovulation) में स्त्री के किसी अण्डाशय की परिपक्व ग्राफियन पुटिका के फट जाने से एक द्वितीयक अण्डक कोशिका (secondary oocyte) मुक्त होकर अण्डाशयी, अर्थात् गर्भाशयी नाल में चली जाती है।
इस द्वितीयक अण्डक कोशिका से प्रथम ध्रुवीय कोशिका (first polar body) चिपकी होती है और इसके चारों ओर पारभासी स्तर (zona pellucida) का तथा इसके बाहर फिर प्रसारण किरीट (corona radiata) का आवरण होता है ।
अण्डक कोशिका का निषेचन गर्भाशयी नाल के प्रारम्भिक चौड़े, अर्थात् कलशिकीय भाग (ampullary region) में होता है। मैथुन के बाद पुरुष के शुक्राणु स्त्री की योनि एवं गर्भाशय में होते हुए गर्भाशयी नाल में शीघ्र ही पहुँच जाते हैं, परन्तु ये अपनी मूल दशा में अण्डक कोशिका का निषेचन नहीं कर सकते।
निषेचन योग्य होने के लिए इनमें कुछ परिवर्तन होते हैं जिन्हें इनकी सामर्थ्यधारिता (capac tation) कहते हैं। इस परिवर्तन में लगभग 7 घण्टे लग जाते हैं। इसमें शुक्राणुओं के ऐक्रोसोम पर से ग्लाइकोप्रोटीन स्तर तथा कोशिकाकला की कुछ प्रोटीन्स हट जाती हैं।
कई सौ सामर्थ्यधारी शुक्राणु सुगमतापूर्वक प्रसारण किरीट को बेधकर पारभासी स्तर तक पहुँच जाते हैं और कुछ प्रोटीन्स की अभिक्रिया के कारण इस स्तर से चिपक जाते हैं। फिर शुक्राणुओं के ऐक्रोसोम से ऐक्रोसिन (acrosin) नामक एन्जाइम मुक्त होकर पारभासी स्तर का अपघटन कर देता है।
अतः शुक्राणु अण्डक कोशिका की कोशिकाकला तक पहुँच जाते हैं। ज्योंही किसी शुक्राणु का इस कला से सम्पर्क होता है, अण्डक कोशिका से कुछ एन्जाइम मुक्त होकर पारभासी स्तर को अन्य सभी शुक्राणुओं के लिए अभेद्य बना देते हैं। प्रोटीन्स की अभिक्रिया के कारण अण्डक कोशिका की कला के सम्पर्क में आने वाला सबसे पहला शुक्राणु कला से चिपककर अण्डक कोशिका में घुस जाता है ।
इस शुक्राणु के अण्डक कोशिका में घुसते ही अण्डक कोशिका उत्तेजित होकर अपना दूसरा परिपक्वन विभाजन पूरा करती है। अतः यह छोटी-सी द्वितीय ध्रुव कोशिका (second polar cell) तथा बड़ी अण्डाणु कोशिका (ovum) में विभक्त हो जाती है।
अण्डाणु के केन्द्रक में एकगुण (haploid) समूह के गुणसूत्र (22 + X) विभाजन की तैयारी में एक रेखा पर सज जाते हैं। इस केन्द्रक को अब मादा पूर्वकेन्द्रक (female pronucleus) कहते हैं। इसकी ओर बढ़ते हुए शुक्राणु का केन्द्रक भी कुछ बड़ा होकर नर पूर्वकेन्द्रक (male pronucleus) बन जाता है।
फिर दोनों पूर्वकेन्द्रकों के समेकन से द्विसूत्री (diploid) युग्मनजी केन्द्रक बन जाता है। इस प्रकार निषेचन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। अण्डाशयों से मुक्त होने के बाद द्वितीयक अण्डक कोशिकाएँ लगभग 24 घण्टों तक ही निषेचन के योग्य रहती हैं।
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